विविध चित्र
मंगलवार, 19 अप्रैल 2016
महादेवी वर्मा :कुमुद-दल से वेदना के दाग़ को,
कुमुद-दल से वेदना के दाग़ को
,
पोंछती जब आंसुवों से रश्मियां
;
चौंक उठतीं अनिल के निश्वास छू
,
तारिकायें चकित सी अनजान सी
;
तब बुला जाता मुझे उस पार जो
,
दूर के संगीत सा वह कौन है
?
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महादेवी वर्मा
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