मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

महादेवी वर्मा :कुमुद-दल से वेदना के दाग़ को,

कुमुद-दल से वेदना के दाग़ को,
पोंछती जब आंसुवों से रश्मियां;
चौंक उठतीं अनिल के निश्वास छू,
तारिकायें चकित सी अनजान सी;
तब बुला जाता मुझे उस पार जो,
दूर के संगीत सा वह कौन है?
     ---------महादेवी वर्मा

सोमवार, 21 मार्च 2016

गुरु नानक

·        हरि बिनु तेरो को न सहाई।
·                                         धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई।

·                                           तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई॥

मंजिल !


गुरुवार, 21 जनवरी 2016

mini-5

इब क्या होगा ?
मैं  तो फंसी
झाड़ी और झरने
 के बीच !

mini-3

उठ -उठ कर
गिरना
गिर-गिर कर
उठना
सहारा तो यही है -
सीख रही हूँ
चलना 

mini-4

हेलो !
देखो !
अब मैं
सीख गयी
चलना
कह रही है 

यही मिनी !

रविवार, 17 जनवरी 2016

mini-2

कहाँ खो गई मैं
पेड़ों के बीच !
न ढूंढो कोई
रहने दो मुझे
पल-दो पल
इनके साथ ...

mini-1

मैंने कहा

पेड़ों से
लम्बे क्यों
हो गये 
कि मैं तुमको
पकड़ नहीं सकूँ
सिरे से----